The Ultimate Guide To Shodashi

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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

सा नित्यं रोगशान्त्यै प्रभवतु ललिताधीश्वरी चित्प्रकाशा ॥८॥

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of community and spiritual solidarity among devotees. During these situations, the collective Power and devotion are palpable, as contributors engage in various varieties of worship and celebration.

Right after 11 rosaries on the main working day of starting Using the Mantra, you are able to bring down the chanting to one rosary on a daily basis and chant eleven rosaries within the 11th working day, on the last working day within your chanting.

She would be the one having extreme elegance and possessing electricity of delighting the senses. Fascinating intellectual and emotional admiration within the a few worlds of Akash, Patal and Dharti.

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा more info

The Devi Mahatmyam, a sacred textual content, specifics her valiant fights inside a series of mythological narratives. These battles are allegorical, representing the spiritual ascent from ignorance to enlightenment, While using the Goddess serving given that the embodiment of supreme know-how and energy.

श्रीं‍मन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।

वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥

प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

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